Inequality in Minimum Wage / न्यूनतम मजदूरी में असमानता – Rajyasabha Q&A

Inequality in Minimum Wage / न्यूनतम मजदूरी में असमानता – Rajyasabha Q&A

Inequality in Minimum Wage / न्यूनतम मजदूरी में असमानता – Rajyasabha Q&A

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 260
TO BE ANSWERED ON 08.12.2022

INEQUALITY IN MINIMUM WAGE

260. SHRI MOHAMMED NADIMUL HAQUE:

Will the Minister of Labour and Employment be pleased to state:

(a) whether it is a fact that the national minimum wage is still Rs. 176;

(b) if so, the reasons therefor;

(c) whether Government plans to implement the recommendations of the Expert Committee on National Minimum Wage and raise it to Rs. 375 and if so, the details thereof, if not, the reasons therefor;

(d) whether the Code on Wages, 2019 guarantees minimum wage for all and if not, the reasons therefor; and

(e) the steps taken by Government to prohibit discrimination against ethnic minorities and lower castes, which is a big source of inequality?

ANSWER

MINISTER OF STATE FOR LABOUR AND EMPLOYMENT
(SHRI RAMESWAR TELI)

(a) to (d): The Central Government, based on the recommendation of the National Commission on Rural Labour (NCRL) in 1991, introduced the concept of National Floor Level Minimum Wage (NFLMW) as a non-statutory measure so as to have a uniform wage structure and to reduce the disparity in minimum wages across the country.

The National Floor Level Minimum Wage was last revised from Rs.160/- to Rs.176/- per day w.e.f. 01.06.2017. The Code on Wages, 2019, has been passed by the Parliament and notified on 08.08.2019. The Code subsumes the concept of National Floor Level Minimum Wages (NFLMW) and makes it a statutory provision.

Section 9 of the Code on Wages, 2019 provides for fixing of floor wage by the Central Government. The floor wage so fixed is applicable across the Central and the State spheres. The Code stipulates that the minimum rates of wages fixed by the appropriate Governments shall not be less than the floor wage. The relevant provisions of the Code on Wages, 2019, have not come into force.

(e): The provisions of the Minimum Wages Act, 1948, do not discriminate on the basis of caste, creed and religion.

in-parliament-today

भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
राज्य सभा

अतारांकित प्रश्न संख्या 260

गुरूवार, 08 दिसम्बर, 2022 / 17 अग्रहायण, 1944 (शक)

न्यूनतम मजदूरी में असमानता

260. श्री मोहम्मद नदीमुल हक:

क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या यह सच है कि राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अभी भी 176 रुपये है;

(ख) यदि हां, तो इसके कया कारण हैं;

(ग) क्या सरकार की योजना राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन पर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करने और इसे बढ़ाकर 375 रुपये करने की है;

यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है, यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं;

(घ) क्या मजदूरी संहिता, 2019 सभी के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देती है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं; और

(ड.) संजातीय अल्पसंख्यकों और निचली जातियों के खिलाफ भेदभाव, जो असमानता का एक बड़ा कारण है, को रोकने के लिए सरकार द्वारा क्‍या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री
(श्री रामेश्वर तेली)

(क) से (घ): केंद्र सरकार ने 1991 में ग्रामीण श्रम राष्ट्रीय आयोग (एनसीआरएल) की सिफारिश के आधार पर एक गैर-सांविधिक उपाय के रूप में राष्ट्रीय तल स्तरीय न्यूनतम मजदूरी (एनएफएलएमडब्ल्यू) की अवधारणा पेश की ताकि एक समान मजदूरी संरचना हो और देश भर में न्यूनतम मजदूरी में असमानता कम हो सके।

राष्ट्रीय तत्र स्तरीय न्यूनतम मजदूरी को पिछली बार दिनांक 01.06.2017 में संशोधित कर 160/- रुपये से 176/- रुपये प्रतिदिन कर दिया गया था। मजदूरी संहिता, 2019 संसद दूवारा पारित की गई है और दिनांक 08.08.2019 को अधिसूचित की गई। यह संहिता राष्ट्रीय तल स्तरीय न्यूनतम मजदूरी (एनएफएलएमडब्ल्यू) की अवधारणा को समाहित करती है और इसे एक सांविधिक प्रावधान बनाती है। मजदूरी संहिता, 2019 की धारा 9 में केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी तय करने का प्रावधान है। इस प्रकार निर्धारित न्यूनतम मजदूरी केंद्रीय और राज्य क्षेत्रों में लागू होता है। संहिता में निर्धारित किया गया है कि समुचित सरकारों द्वारा निर्धारित मजदूरी की न्यूनतम दरें न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होंगी। मजदूरी संहिता, 2019 के प्रासंगिक उपबंध लागू नहीं हुए हैं।

(ड.): न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के उपबंध जाति, पंथ और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं।

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