महंगाई भत्ता – सरकारी कर्मचारियों के तरह फैक्ट्री के मजदूरों को भी मिलेगा डीए का लाभ
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में दिल्ली सरकार के डीए पर रोक लगाने की अनुमित देने के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि 15,000 रूपये के न्यूनतम वेतन पर जीवन गुजारना कठिन है।
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अकुशल, अर्द्धकुशल और कुशल कामगारों को महंगाई भत्ते का मिलेगा लाभ
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दिल्ली हाईकोर्ट ने डीए पर रोक से किया इनकार
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कोर्ट ने कहा, 15,000 रुपये के न्यूनतम वेतन पर जीवन गुजारना कठिन
दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में अकुशल, अर्द्धकुशल और कुशल कामगारों को महंगाई भत्ता (डीए) दिए जाने के संबंध में दिल्ली सरकार के आदेश पर कोई अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया.
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने महंगाई भत्ता तय करने के दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के सात दिसंबर 2020 के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 15,000 रुपये के न्यूनतम वेतन पर जीवन गुजारना कठिन है.
अदालत ने सात दिसंबर के आदेश पर रोक लगाने के लिए ‘दिल्ली फैक्ट्री ऑनर्स फेडरेशन’ की याचिका पर दिल्ली सरकार और उसके श्रम विभाग को नोटिस जारी किया और उनका जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता-संगठन द्वारा दाखिल मुख्य याचिका में शामिल अर्जी में सभी श्रेणी के श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन को संशोधित करने के दिल्ली सरकार द्वारा जारी अक्टूबर 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी गयी है.
- Dearness Allowance to Central Government Employees and Dearness Relief to Pensioners at current rates: Confederation writes to FM
- Freezing Dearness Allowance: High court passed an interim order, staying freezing of DA
- Freezing of Dearness Allowance payable to Employees of Central Public Sector Enterprises (CPSEs): High Court Ernakulam Judgement 17.12.2020
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष और अधिवक्ता रिषभ जेटली ने सरकार की अक्टूबर 2019 की अधिसूचना का बचाव करते हुए कहा कि खाद्य पदार्थ, कपड़ा, आवास, ईंधन, बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा खर्च के औसत मूल्य तथा अन्य पहलुओं के आधार पर दर निर्धारित की गयी.
दिल्ली सरकार ने एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि न्यूनतम वेतन तय करने के पहले दिल्ली न्यूनतम वेतन परामर्श बोर्ड का गठन किया गया और इसमें याचिकाकर्ता संगठन समेत सभी हितधारकों के साथ बात की गयी.
चर्चा में कोई सहमति नहीं बन पाने पर वोट के जरिए मामले का फैसला हुआ और बोर्ड के सदस्यों ने बहुमत के आधार पर दर को मंजूरी दी. संगठन ने दलील दी है कि श्रम विभाग के अतिरिक्त श्रम आयुक्त के सात दिसंबर 2020 के आदेश में विसंगति है क्योंकि डीए एक अप्रैल 2020 और अक्टूबर 2020 से पूर्व प्रभाव के साथ लागू किया गया है. याचिका में संगठन ने कहा है कि सात दिसंबर 2020 के आदेश को पूर्व प्रभाव के साथ लागू नहीं किया जा सकता.
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