ईनकम टैक्स रिफंड अभी तक खाते में क्रेडिट नहीं हुआ? जानें मुख्य वजह
Income tax refund ना आने की 5 बड़ी वजह, विस्तार से पढ़िए कहां हुई चूक
Income Tax Refund: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ट्वीट किया है कि उसने 1 अप्रैल 2020 से 11 जनवरी 2021 के 1.57 करोड़ Taxpayers को 1,73,139 करोड़ रुपये रिफंड जारी किए. लेकिन कई लोग सोशल मीडिया के जरिये शिकायत कर रहे हैं कि उनको उनका रिफंड नहीं मिला, जबकि उन्होंने चार-पांच महीने पहले आयकर रिटर्न भरा था. अगर आप भी उन Taxpayers में शामिल हैं जो अपने पैसे का इंतजार कर रहे हैं तो हम उन कारणों को बता रहे हैं, जिसकी वजह से आपका रिफंड अटक गया है.
फॉर्म में गलत जानकारी (Wrong information in the form)
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब सिर्फ बैंक खाते में ही टैक्स रिफंड भेजता है. ऐसे में अगर आपने फॉर्म भरते हुए अपने खाते का गलत डिटेल भरा है तो आपका रिफंड अटक सकता है. इसको आप Income tax Department के जरिये सुधार सकते हैं. आप ऑनलाइन अपने फॉर्म में खाते के डिटेल को सही कर सकते हैं. इसके साथ यह जरूरी है कि आप जिस बैंक खाते का डिटेल अपने रिटर्न फॉर्म में दे रहे हैं वह पैन से भी जुड़ा हो.
खाता वेरीफाई ना होना (Account not verified)
समय पर रिफंड नहीं आने का दूसरा सबसे बड़ा कारण होता है बैंक खाता का Pre verified नहीं होना. जिस खाते में आयकर विभाग से टैक्स रिफंड आना होता है उस बैंक खाते को अगर टैक्सेयर पहले से वेरीफाई नहीं करता हैं तो यह रुक जाता है. इसलिए Taxpayer को चाहिए कि वह आयकर विभाग से जुड़े बैंक खाते को समय से वेरीफाई करें. आपका जो भी रिटर्न बनेगा वह सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर के जरिए इसी अकाउंट में पहुंचेगा.
समय पर वेरीफाई न होना (Not verify on time)
आयकर रिटर्न भरने के बाद उसे वेरीफाई करना होता है. कई बार ऐसा होता है कि टैक्सपेयर्स समय पर आयकर रिटर्न भर तो देता है लेकिन वह उसको वेरीफाई नहीं करता. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका रिटर्न जल्द मिले तो इसे वेरीफाई करना नहीं भूलें.
रिफंड की स्थिति को जांचे (Check refund status)
अगर आपका रिफंड नहीं आता है तो आप आयकर विभाग की वेबसाइट के जरिये स्टेटस चेक कर सकते हैं. आप यह काम अपने पैन और लॉगइन आईडी औैर पासवर्ड के जरिये कर सकते हैं.
क्या है रिफंड (What is refund)
टैक्सपेयर्स का इनकम टैक्स किसी कारोबारी साल में उसके अनुमानित निवेश दस्तावेज के आधार पर पहले काट लिया जाता है. वहीं, जब Financial years के अंत तक वह सभी जरूरी कागजात जमा करता है. अब अगर हिसाब करने पर यह लगता है कि टैक्स ज्यादा कट गया तो इसके लिए ITR दाखिल कर रिफंड के लिए वह अप्लाई करता है.
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